हज़रत ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा (रज़ि॰अ॰)


हज़रत ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा (रज़ि॰अ॰)

परिचय

हज़रत ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा (रज़ि॰अ॰) उम्महातुल-मुमिनीन में से एक हैं। आप इस्लाम की उन चुनिंदा महिलाओं में से हैं जिनका नाम उनकी सख़ावत (दानशीलता) और ग़रीबों पर रहमदिली की वजह से मशहूर हुआ। उन्हें लोग “उम्मुल-मसाकीन” यानी ग़रीबों की माँ कहा करते थे। उनकी ज़िन्दगी बहुत छोटी रही, लेकिन जो समय उन्होंने इस्लाम की सेवा और इंसानों की भलाई में गुज़ारा, वह हमेशा याद रखा जाएगा।


जन्म और परिवार

  • हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) का जन्म मक्का शरीफ़ में हुआ।
  • आपके वालिद का नाम ख़ुज़ैमा बिन हारिस और वालिदा का नाम हिन्द बिन्ते औफ़ था।
  • उनकी वालिदा उम्मुल मोमिनीनों में से कई और बीवियों की रिश्तेदार भी थीं। इस तरह हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) का ताल्लुक़ एक नेक और इज़्ज़तदार ख़ानदान से था।

पहला निकाह

  • हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) का पहला निकाह अब्दुल्लाह बिन जहश (रज़ि॰अ॰) से हुआ था।
  • अब्दुल्लाह बिन जहश (रज़ि॰अ॰) नबी ﷺ के क़रीबी सहाबी थे और उन्होंने बद्र की लड़ाई में हिस्सा लिया।
  • बद्र की लड़ाई में ही अब्दुल्लाह बिन जहश (रज़ि॰अ॰) शहीद हो गए।
  • उनके शौहर की शहादत के बाद हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) विधवा हो गईं।

पैग़म्बर ﷺ से निकाह

  • अब्दुल्लाह बिन जहश (रज़ि॰अ॰) की शहादत के बाद पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) से निकाह किया।
  • यह निकाह उनके लिए एक सहारा और मुसलमानों के लिए एक मिसाल बना कि इस्लाम विधवा औरतों की इज़्ज़त और देखभाल करता है।
  • पैग़म्बर ﷺ का यह निकाह इंसाफ़ और मोहब्बत की एक बेहतरीन मिसाल है।

उम्मुल-मसाकीन

  • हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) अपनी रहमदिली और दान की वजह से मशहूर थीं।
  • ग़रीब, यतीम और मुहताज लोग उनके घर आते और वह हमेशा उन्हें खाना, कपड़ा और मदद देतीं।
  • इसी वजह से उन्हें “उम्मुल-मसाकीन” यानी ग़रीबों की माँ कहा जाने लगा।
  • उनका यह ख़ास गुण उम्मत के लिए हमेशा सबक़ है कि इंसानियत और रहमदिली हर मुसलमान की पहचान होनी चाहिए।

दीनी शख्सियत

  • हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) सादगी पसंद, इबादतगुज़ार और अल्लाह से डरने वाली औरत थीं।
  • वह नमाज़, रोज़ा और दान में आगे रहतीं।
  • इस्लाम के शुरुआती दौर में जब मुसलमानों को तरह-तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा, तब उन्होंने हमेशा सब्र किया और दूसरों की मदद की।

छोटा मगर रोशन जीवन

  • उम्मुल मोमिनीन हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) का निकाह पैग़म्बर ﷺ से हुआ, लेकिन बहुत ज़्यादा समय तक आप उनके साथ न रह सकीं।
  • कहा जाता है कि निकाह के कुछ ही महीनों बाद उनका इंतक़ाल हो गया।
  • उनकी उम्र भी ज़्यादा नहीं थी, लेकिन कम उम्र में भी उन्होंने नेक कामों की ऐसी मिसाल छोड़ी जो रहत-ए-दुनिया तक ज़िंदा रहेगी।

इन्तक़ाल

  • हज़रत ज़ैनब (रज़ि॰अ॰) का इंतक़ाल नबी ﷺ के ज़माने में मदीना मुनव्वरा में हुआ।
  • उनका इंतक़ाल निकाह के कुछ महीनों बाद ही हो गया था।
  • उन्हें मदीना के मशहूर क़ब्रिस्तान जन्नतुल-बक़ी में दफ़न किया गया।
  • वह उम्मुल मोमिनीनों में से दूसरी बीवी हैं जिनका इंतक़ाल नबी ﷺ की ज़िन्दगी में ही हुआ।

मुक़ाम और यादगार बातें

  1. उम्मुल-मसाकीन – गरीबों और मुहताजों के लिए उनकी रहमदिली आज भी याद की जाती है।
  2. क़ुर्बानी की मिसाल – अपने पहले शौहर की शहादत और फिर अपनी छोटी ज़िन्दगी में उन्होंने सब्र और तक़वा दिखाया।
  3. उम्मुल मोमिनीन – उम्महातुल-मुमिनीन का मुक़ाम बहुत बड़ा है और उनका नाम भी उन रोशन नामों में शामिल है।

उम्मत के लिए सबक़

हज़रत ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा (रज़ि॰अ॰) की ज़िन्दगी से मुसलमानों को यह सबक़ मिलता है कि इंसान को अपनी ज़िन्दगी दूसरों की मदद, अल्लाह की इबादत और नेक कामों में लगानी चाहिए। उम्र चाहे लंबी हो या छोटी, अहमियत इस बात की है कि इंसान अपने समय को किस तरह गुज़ारता है।


✅ नतीजा

हज़रत ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा (रज़ि॰अ॰) उम्मुल मोमिनीन में से एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका नाम हमेशा रहमदिली और इंसानियत की वजह से लिया जाएगा। उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करके उम्मत के लिए एक रोशन मिसाल पेश की। उनका छोटा जीवन इस बात का सबूत है कि नेक कामों की वजह से इंसान का नाम हमेशा के लिए अमर हो जाता है।