तक़दीर पर ईमान..


तक़दीर पर ईमान (Faith in Divine Decree / Predestination)

भूमिका

इस्लाम में ईमान के छः अरकान (Articles of Faith) में से अंतिम और बहुत अहम आधार है – तक़दीर पर ईमान
तक़दीर का अर्थ है – अल्लाह का ज्ञान और हुक्म, जो पहले से तय है। इसका मतलब यह नहीं कि इंसान का मेहनत बेकार है, बल्कि अल्लाह जानता है और तय करता है कि हर इंसान की ज़िन्दगी में क्या होगा।


तक़दीर का मतलब

तक़दीर (Qadar / Predestination) का अर्थ है:

  1. अल्लाह ने हर चीज़ का ज्ञान पहले से रखा है।
  2. दुनिया में हर घटना, छोटी-बड़ी, उसके हुक्म के तहत होती है।
  3. इंसान के अच्छे और बुरे कर्मों का ज्ञान अल्लाह के पास है।
  4. इस ज्ञान और हुक्म में इंसान की जिम्मेदारी और आज़ादी भी शामिल है।

कुरआन में कहा गया है:

“और अल्लाह ने हर चीज़ को पहले से तय कर रखा है।”
(सूरह अल-हदीद 57:22)


तक़दीर और इंसान की आज़ादी

कुछ लोग सोचते हैं कि तक़दीर का मतलब इंसान की मेहनत बेकार है। यह गलत है।

  • इंसान की आजादी है – वह सही या गलत काम चुन सकता है।
  • इंसान के चुनाव और उसके कर्म अल्लाह की निगरानी में हैं।
  • अल्लाह की तक़दीर का मतलब है कि वह पहले से जानता है कि इंसान क्या करेगा।
  • इंसान को जिम्मेदार ठहराया जाएगा उसके कर्मों के लिए।

कुरआन में आया:

“जो कोई नेक काम करेगा, उसका इनाम उसके लिए होगा और जो बुरा करेगा, उसकी सज़ा उसके लिए होगी।” (सूरह अल-इन्शिक़ाक़ 84:7-8)


तक़दीर के चार पहलू

  1. अल्लाह का इल्म (ज्ञान)
    • अल्लाह को सब कुछ पहले से पता है – इंसान का जन्म, मौत, सोच, और हर कर्म।
  2. अल्लाह का हुक्म
    • जो कुछ भी दुनिया में घटता है, वह अल्लाह के हुक्म और इरादे के तहत होता है।
  3. अल्लाह की रचना
    • हर इंसान की ताक़त, शरीर, बुद्धि, और परिस्थितियाँ अल्लाह ने बनाई हैं।
  4. अच्छा और बुरा
    • अल्लाह ने तय किया है कि नेक लोग इनाम पाएंगे और बुरे लोग सज़ा पाएंगे, लेकिन इंसान की कोशिश और चुनाव भी मायने रखते हैं।

तक़दीर पर ईमान का महत्व

  1. धैर्य और सुकून
    • मुसीबत और तकलीफ़ों में इंसान जानता है कि यह अल्लाह की मर्ज़ी से है और धैर्य रखता है।
  2. शुक्र और कृतज्ञता
    • अल्लाह की नेमतों और अच्छी चीज़ों के लिए इंसान शुक्र अदा करता है।
  3. कामयाबी के लिए प्रयास
    • इंसान अपनी मेहनत और नेक कोशिश करता है क्योंकि यह उसके कर्म हैं जो उसकी तक़दीर को सकारात्मक बना सकते हैं।
  4. गुनाह और गलतियों से बचाव
    • इंसान जानता है कि बुराई का हिसाब लिया जाएगा, इसलिए वह अच्छे कर्म करता है।

कुरआन और हदीस में तक़दीर

  • कुरआन में कहा गया: “अल्लाह जो कुछ देता है, वही सबसे अच्छा है और जो कुछ रोकता है, वही सबसे अच्छा है।” (सूरह अल-बीकरा 2:216)
  • हज़रत मुहम्मद ﷺ ने कहा: “हर इंसान का भाग्य उसके जन्म से पहले लिखा गया है, इसलिए अपने अच्छे कर्मों में मेहनत करो।”

तक़दीर पर ईमान रखने वाले की ज़िन्दगी

  1. धैर्यवान – परेशानियों में सब्र रखते हैं।
  2. शुक्रगुज़ार – अल्लाह की नेमतों के लिए हमेशा आभारी रहते हैं।
  3. सतर्क और मेहनती – बुराई और गुनाह से दूर रहते हैं।
  4. भरोसेमंद – जानकार होते हैं कि अल्लाह उनके लिए सबसे अच्छा सोचता है।

अगर कोई तक़दीर पर ईमान न लाए

  • अल्लाह का यह ज्ञान न मानने वाला इंसान अपने कर्मों का सही हिसाब नहीं समझ पाएगा।
  • उसका ईमान अधूरा होगा।
  • कुरआन में कहा गया है कि जो अल्लाह की तक़दीर को नकारे, वह बहुत दूर गुमराह है।

निष्कर्ष

तक़दीर पर ईमान इस्लाम के छः अरकान में से अंतिम आधार है।
यह इंसान को याद दिलाता है कि:

  • हर घटना अल्लाह के हुक्म के अनुसार होती है।
  • इंसान के कर्म मायने रखते हैं और उसका हिसाब लिया जाएगा।
  • दुनिया में धैर्य, मेहनत, शुक्र और नेक नीयत से जीवन जीना जरूरी है।

तक़दीर पर ईमान रखने वाला इंसान पूरी तरह अल्लाह पर भरोसा रखता है, मेहनत करता है और आख़िरत की तैयारी करता है।