अब्बासी सल्तनत..

अब्बासी सल्तनत (750–1258 ईस्वी): इतिहास, विस्तार और महत्व

अब्बासी सल्तनत इस्लामी इतिहास की एक महान और प्रभावशाली सल्तनत थी, जिसने 750 ईस्वी में उम्मयाद सल्तनत का स्थान लिया और लगभग 500 वर्षों तक शासन किया। अब्बासी खलीफाओं ने इस्लामिक साम्राज्य को राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विकसित किया। इस सल्तनत का शासनकाल इस्लामिक इतिहास में स्वर्ण युग माना जाता है।

अब्बासी सल्तनत की स्थापना

अब्बासी वंश पैगंबर मुहम्मद के चाचा अब्बास इब्न अब्दुल-मुत्तालिब से संबंधित था। अब्बासी विद्रोह के कारण 750 ईस्वी में उम्मयाद सल्तनत का अंत हुआ। अब्बासी खलीफाओं ने बग़दाद को राजधानी बनाया और इसे प्रशासनिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया।

अब्बासी सल्तनत का विस्तार

अब्बासी खलीफाओं ने इस्लामिक साम्राज्य का विस्तार किया। उनका साम्राज्य तीन महाद्वीपों में फैला:

  • एशिया: फारस (ईरान), अफगानिस्तान, भारत के पश्चिमी क्षेत्र
  • अफ्रीका: मिस्र और उत्तरी अफ्रीका
  • यूरोप: स्पेन के कुछ हिस्सों तक व्यापारिक और सांस्कृतिक प्रभाव

अब्बासी सल्तनत ने सैन्य, प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया और स्थानीय प्रशासन को संगठित किया।

मुख्य अब्बासी खलीफाएं

1. अल-सफ़ाह (750–754 ई.)

अब्बासी सल्तनत के संस्थापक, उम्मयाद वंश का अंत किया और सत्ता को केंद्रीकृत किया।

2. अल-मंसूर (754–775 ई.)

बग़दाद की स्थापना (762 ई.), प्रशासनिक और आर्थिक सुधार, सेना और न्याय प्रणाली को मजबूत किया।

3. हारुन अल-रशीद (786–809 ई.)

अब्बासी सल्तनत का स्वर्ण युग। विज्ञान, कला और साहित्य में प्रगति हुई। बग़दाद को दुनिया का सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र बनाया।

4. अल-मामून (813–833 ई.)

विज्ञान और शिक्षा का विकास। खुरासान विद्रोह का सामना किया और बग़दाद में फारस की सांस्कृतिक छाया को बढ़ाया।

5. आखिरी प्रभावशाली खलीफाएं (9वीं–10वीं शताब्दी)

सल्तनत का विस्तार शिथिल होने लगा। स्थानीय सुल्तानों और अमीरों का उदय हुआ। वास्तविक सत्ता कई बार सैन्य कमांडरों के हाथ में चली गई।

प्रशासनिक व्यवस्था

  • राजधानी: बग़दाद
  • सैन्य प्रशासन: पेशेवर सेना, सीमा सुरक्षा और विद्रोह नियंत्रण
  • आर्थिक प्रशासन: कर प्रणाली, ज़कात और व्यापार का नियमन
  • प्रशासनिक विभाग: न्याय, लेखा-जोखा और भूमि प्रबंधन

समाज और संस्कृति

  • अरब मुस्लिम: शासक और अधिकारी वर्ग
  • मुस्लिम अधिनायक: व्यापार, कृषि और सेना में सक्रिय
  • गैर-मुस्लिम: ज़मीन पर काम करने वाले और करदाता

अब्बासी खलीफाओं ने धार्मिक सहिष्णुता दिखाई और विद्वानों एवं व्यापारियों को संरक्षण दिया।

शिक्षा और विज्ञान

  • हाउस ऑफ़ वीज़डम (बग़दाद): ज्ञान का केंद्र
  • गणित और खगोल विज्ञान: अल-ख्वारिज़्मी का योगदान
  • चिकित्सा: इब्न सिना और रेज़ी के काम
  • साहित्य और कला: अरबी साहित्य, काव्य और स्थापत्य में नवाचार

व्यापार और अर्थव्यवस्था

  • सिल्क रोड: एशिया और यूरोप को जोड़ने वाला मार्ग
  • सिक्कों और मुद्रा का सुधार
  • कृषि और सिंचाई: भूमि उपजाऊ और उत्पादन बढ़ा
  • हस्तशिल्प और उद्योग: वस्त्र, धातु और काष्ठकला का विकास

स्थापत्य और कला

  • बग़दाद के महल और मस्जिदें
  • शाही पुस्तकालय और संग्रहालय
  • चित्रकला और मूर्तिकला में नवाचार

अब्बासी सल्तनत का पतन

  • आंतरिक विद्रोह और सुल्तानों का उदय
  • मंगोलों और अन्य बाहरी आक्रमण
  • शासन के केंद्रीकरण में कमी

1258 ईस्वी में हुलागु खान के मंगोल आक्रमण ने बग़दाद पर कब्जा किया और सल्तनत का अंत हुआ।

अब्बासी सल्तनत का महत्व

  • राजनीतिक: अरब साम्राज्य का केंद्रीकरण और प्रशासनिक सुधार
  • सांस्कृतिक और बौद्धिक: विज्ञान, शिक्षा और कला में प्रगति
  • धार्मिक: इस्लामिक कानून और न्याय प्रणाली का विस्तार
  • वैश्विक प्रभाव: व्यापार और संस्कृति का यूरोप और एशिया में प्रसार

निष्कर्ष

अब्बासी सल्तनत (750–1258 ई.) ने इस्लामी इतिहास में स्वर्ण युग स्थापित किया। इसने प्रशासनिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया। अब्बासी खलीफाओं के शासन ने इस्लामिक दुनिया को स्थायित्व और समृद्धि प्रदान की। अब्बासी सल्तनत की उपलब्धियाँ आज भी इतिहास और संस्कृति में जीवित हैं।