फ़ातिमी खलीफा सल्तनत.

फ़ातिमी खलीफा सल्तनत (909–1171 ई.): इतिहास, विस्तार और महत्व

फ़ातिमी खलीफा सल्तनत इस्लामी इतिहास की एक प्रमुख और प्रभावशाली शिया इस्माइली वंश की सल्तनत थी। यह सल्तनत 909 ई. में उत्तरी अफ्रीका से शुरू हुई और लगभग 262 वर्षों तक मिस्र, उत्तरी अफ्रीका और अरब क्षेत्रों में शासन करती रही। फ़ातिमी खलीफाओं ने राजनीति, धर्म, प्रशासन और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और काहिरा के माध्यम से इस्लामिक दुनिया में अपनी पहचान बनाई।

फ़ातिमी सल्तनत की स्थापना

फ़ातिमी वंश का संबंध पैगंबर मुहम्मद के वंशज इस्माइल और हज़रत फातिमा से था। सल्तनत की स्थापना अल-माह्दी बिल्लाह ने 909 ई. में उत्तरी अफ्रीका (आज का ट्यूनीशिया) में की। उन्होंने उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया और फ़ातिमी खलीफा के रूप में शासन किया।

फ़ातिमी सल्तनत का विस्तार

फ़ातिमी सल्तनत ने उत्तरी अफ्रीका से लेकर मिस्र और अरब क्षेत्रों में अपनी सत्ता स्थापित की। प्रमुख क्षेत्र:

  • उत्तरी अफ्रीका: ट्यूनीशिया, एल्जीरिया और मोरक्को के कुछ हिस्से
  • मिस्र: काहिरा और नील घाटी
  • अरब क्षेत्र: सऊदी अरब और लेवेंट क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव

सल्तनत ने व्यापारिक मार्गों, नील नदी के तटीय क्षेत्रों और भूमध्यसागरीय समुद्री मार्गों पर अपना प्रभाव बढ़ाया।

प्रमुख फ़ातिमी खलीफाएं

1. अल-माह्दी बिल्लाह (909–934 ई.)

फ़ातिमी सल्तनत के संस्थापक। उत्तरी अफ्रीका में सत्ता स्थापित की और इस्लामी प्रशासन और न्याय प्रणाली लागू की।

2. अल-क़ाहीर (934–946 ई.)

सल्तनत के विस्तार में योगदान। मिस्र और लेवेंट क्षेत्रों में सैन्य अभियान।

3. अल-मुस्तन्सिर (1036–1094 ई.)

फ़ातिमी सल्तनत का सबसे लंबा शासन। प्रशासनिक सुधार, सेना का पुनर्गठन और काहिरा में राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र विकसित किया।

4. अल-अज़ीज़ (975–996 ई.)

व्यापारिक और नौसैनिक शक्ति का विकास। मिस्र में नील घाटी और काहिरा का नियंत्रण।

5. अल-हाकिम (996–1021 ई.)

विवादास्पद और प्रभावशाली खलीफा। धार्मिक और सामाजिक नियमों का कड़ाई से पालन। काहिरा और मिस्र में प्रशासनिक सुधार।

प्रशासनिक ढांचा

  • राजधानी: काहिरा (967 ई. में स्थापित)
  • सैन्य प्रशासन: पेशेवर सेना और नौसैनिक शक्ति
  • आर्थिक प्रशासन: कर प्रणाली, ज़कात, व्यापार और कृषि का नियमन
  • प्रशासनिक विभाग: न्याय, लेखा-जोखा और भूमि प्रबंधन

फ़ातिमी खलीफाओं ने शिया धर्म और इस्माइली कानून लागू किया और शासन में धार्मिक नेतृत्व को मजबूत किया।

समाज और धर्म

  • फ़ातिमी मुस्लिम: शासक और अधिकारी
  • सामान्य मुस्लिम: व्यापार, कृषि और सेवा में सक्रिय
  • गैर-मुस्लिम: व्यापार, उद्योग और करदाता

फ़ातिमी खलीफाओं ने धार्मिक सहिष्णुता दिखाई और ईसाई एवं यहूदी समुदायों को संरक्षण दिया।

शिक्षा और विज्ञान

  • अज़हर विश्वविद्यालय (काहिरा): इस्लामिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र
  • फिलॉसफी और गणित: इस्माइली विद्वानों का योगदान
  • चिकित्सा और दवा: अस्पताल और चिकित्सा केंद्रों का विकास
  • साहित्य और धर्मग्रंथ: अरबी और फारसी साहित्य का प्रचार

व्यापार और अर्थव्यवस्था

  • भूमध्यसागरीय समुद्री मार्ग: यूरोप और अफ्रीका के साथ व्यापार
  • नदी और जलमार्ग: नील नदी और तटीय मार्गों का विकास
  • सिक्कों और मुद्रा: अर्थव्यवस्था में स्थिरता
  • कृषि और उद्योग: उत्पादन, वस्त्र, धातु और हस्तशिल्प में सुधार

स्थापत्य और कला

  • काहिरा के महल और मस्जिदें
  • अज़हर मस्जिद: शिक्षा और धर्म का केंद्र
  • चित्रकला और मूर्तिकला
  • सिक्कों और मुद्रा पर धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक

फ़ातिमी सल्तनत का पतन

  • आंतरिक विद्रोह और प्रशासनिक अस्थिरता
  • क्रूसियनों और बाहरी आक्रमण
  • शासन में केंद्रीकरण की कमी

1171 ई. में अयूबियों के उदय के साथ फ़ातिमी सल्तनत का अंत हुआ।

फ़ातिमी सल्तनत का महत्व

  • राजनीतिक: उत्तरी अफ्रीका और मिस्र में शासन व्यवस्था
  • धार्मिक: शिया इस्माइली धर्म का प्रचार
  • सांस्कृतिक और बौद्धिक: शिक्षा, कला और विज्ञान में योगदान
  • वैश्विक प्रभाव: भूमध्यसागरीय और अफ्रीकी व्यापारिक नेटवर्क

निष्कर्ष

फ़ातिमी खलीफा सल्तनत (909–1171 ई.) ने इस्लामिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय लिखा। फ़ातिमी खलीफाओं के प्रशासन, धार्मिक नीति, शिक्षा और संस्कृति के योगदान ने मिस्र और उत्तरी अफ्रीका में स्थायित्व और समृद्धि प्रदान की। उनकी उपलब्धियाँ आज भी इस्लामी इतिहास में याद की जाती हैं।