सल्जूक सल्तनत : 11वीं सदी का इतिहास


परिचय

मानव इतिहास में मध्यकाल को बड़े साम्राज्यों और सल्तनतों का समय माना जाता है। इस दौर में कई राजवंश और साम्राज्य उभरे, जिन्होंने राजनीति, संस्कृति और धर्म पर गहरी छाप छोड़ी। इन्हीं में से एक था सल्जूक साम्राज्य। सल्जूक तुर्क मूल के लोग थे, जिन्होंने 11वीं सदी में मध्य एशिया और पश्चिम एशिया के बड़े हिस्सों पर राज किया। उन्होंने इस्लामी दुनिया को एक नई शक्ति प्रदान की और राजनीतिक स्थिरता स्थापित की।


सल्जूक सल्तनत की उत्पत्ति

सल्जूक तुर्की खानाबदोश जनजातियों से संबंध रखते थे। शुरुआत में ये लोग मध्य एशिया के स्टेपी इलाक़ों में रहते थे और घुमंतू जीवन जीते थे। धीरे-धीरे इनकी शक्ति बढ़ती गई और 11वीं सदी की शुरुआत में यह इस्लामी दुनिया के केंद्र में दाखिल हुए।
सल्जूक वंश का नाम उनके नेता “सल्जूक बेग” से पड़ा। यह व्यक्ति अपनी जनजाति को लेकर इस्लामी क्षेत्रों की ओर बढ़ा और वहाँ बस गया। उनकी आने वाली पीढ़ियों ने साम्राज्य की नींव रखी।


11वीं सदी में सल्जूकों का उदय

11वीं सदी में जब अब्बासी खलीफ़ा की शक्ति कमज़ोर हो रही थी, तब सल्जूक एक बड़ी ताक़त बनकर उभरे।

  • 1037 ई. में तुग़रिल बेग ने सल्जूक साम्राज्य की स्थापना की।
  • कुछ ही वर्षों में सल्जूक साम्राज्य ईरान, इराक़, सीरिया और अनातोलिया तक फैल गया।
  • उन्होंने इस्लामी दुनिया में राजनीतिक स्थिरता पैदा की और बग़दाद में अब्बासी खलीफ़ा की रक्षा की।

प्रमुख शासक

1. तुग़रिल बेग (1037 – 1063 ई.)

तुग़रिल बेग सल्जूक साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है। उसने बग़दाद पहुँचकर अब्बासी खलीफ़ा को अपनी सुरक्षा दी। इसी कारण उसे “इस्लाम का रक्षक” कहा गया। तुग़रिल बेग ने सल्जूक साम्राज्य की नींव मज़बूत की।

2. अल्प अरसलान (1063 – 1072 ई.)

अल्प अरसलान का नाम इतिहास में विशेष रूप से मशहूर है। उसने 1071 ई. की मंज़िकर्ट की लड़ाई (Battle of Manzikert) में बीजान्टाइन साम्राज्य को हराया। यह विजय इतनी महत्वपूर्ण थी कि इसके बाद अनातोलिया क्षेत्र तुर्कों के हाथ में आ गया और आगे चलकर उस्मानी साम्राज्य की नींव इसी भूमि पर रखी गई।

3. मलिक शाह (1072 – 1092 ई.)

मलिक शाह सल्जूक वंश का सबसे महान शासक माना जाता है। उसके समय में साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर था।

  • साम्राज्य की सीमाएँ मध्य एशिया से लेकर यमन और अनातोलिया तक फैलीं।
  • उसने प्रशासन को मज़बूत किया और न्याय व्यवस्था को संगठित किया।
  • मलिक शाह ने विद्वानों, शायरों और वैज्ञानिकों को संरक्षण दिया।
  • उसके प्रधानमंत्री निज़ाम-उल-मुल्क ने शिक्षा व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध “निज़ामिया मदरसे” स्थापित किए।

शासन व्यवस्था और प्रशासन

सल्जूकों ने अपनी शासन प्रणाली को बहुत व्यवस्थित किया।

  • उन्होंने प्रांतों को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटा और वहाँ अमीर नियुक्त किए।
  • सेना में तुर्की घुड़सवार मुख्य आधार थे।
  • कर व्यवस्था को मज़बूत किया गया और व्यापार को बढ़ावा दिया गया।
  • प्रशासन में इस्लामी क़ानून (शरिया) को लागू किया गया।

संस्कृति और शिक्षा

सल्जूक शासकों ने इस्लामी शिक्षा और संस्कृति को फैलाने में अहम भूमिका निभाई।

  • निज़ामिया मदरसे इस्लामी शिक्षा का केंद्र बने।
  • फ़ारसी भाषा को दरबार और साहित्य में बढ़ावा मिला।
  • विद्वानों और शायरों को संरक्षण दिया गया।
  • मस्जिदों, मदरसों और क़िलों का निर्माण हुआ।

धार्मिक युद्ध (क्रूसेड्स) से टकराव

11वीं सदी के अंत में यूरोप के ईसाई शासकों ने पवित्र भूमि येरुशलम को इस्लामिक शासन से निकालने के लिए “धार्मिक युद्ध” (क्रूसेड्स) शुरू किए।
सल्जूक शासकों ने इन युद्धों का डटकर सामना किया। हालांकि शुरुआती चरण में क्रूसेडियों ने कुछ क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया, लेकिन सल्जूक साम्राज्य ने उन्हें कड़ी चुनौती दी।


पतन की शुरुआत

मलिक शाह की मृत्यु (1092 ई.) के बाद साम्राज्य धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ने लगा।

  • शाही परिवार में उत्तराधिकार को लेकर झगड़े हुए।
  • साम्राज्य छोटे-छोटे हिस्सों में बँट गया।
  • क्रूसेड्स और मंगोल आक्रमणों ने भी साम्राज्य को कमज़ोर किया।
  • अंततः 12वीं सदी में सल्जूक साम्राज्य का बड़ा हिस्सा टूट गया, हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह वंश देर तक बना रहा।

सल्जूक सल्तनत का प्रभाव

सल्जूक साम्राज्य ने इस्लामी दुनिया को एक नया राजनीतिक और सांस्कृतिक आधार दिया।

  • उन्होंने अब्बासी खलीफ़ा की रक्षा की और उसकी प्रतिष्ठा को बचाए रखा।
  • इस्लामी शिक्षा और संस्कृति को व्यापक बनाया।
  • तुर्कों के लिए अनातोलिया का रास्ता खोला, जिससे आगे चलकर उस्मानी साम्राज्य (Ottoman Empire) की नींव रखी गई।

निष्कर्ष

11वीं सदी का सल्जूक साम्राज्य इस्लामी इतिहास का सुनहरा अध्याय है। तुग़रिल बेग से लेकर मलिक शाह तक इस वंश ने राजनीतिक शक्ति, प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक योगदान के जरिए दुनिया पर गहरी छाप छोड़ी। हालांकि आंतरिक कलह और बाहरी आक्रमणों के कारण यह साम्राज्य कमजोर पड़ा, फिर भी इसका प्रभाव आने वाली सदियों तक बना रहा।


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